हैलो दोस्तों, आज मैं बात कर रहा हूँ उस लाइब्रेरी की जो एशिया की सबसे बड़ी और सबसे सुंदर लाइब्रेरी है। जी हां रामपुर रज़ा लाइब्रेरी जो उत्तर प्रदेश के रामपुर जिले में स्थित है। यह लाइब्रेरी केवल लाइब्रेरी ही नही बल्कि एक म्यूजीयम है। मैं यह बात इसलिए बोल रहा हूँ कि इस लाइब्रेरी में पुस्तको के अलावा हज़ारो तरह के हथियार एवं प्राचीन शिल्प कला से सुसज्जित मूर्तियां रखी हुई है। लाइब्रेरी में स्थित स्तम्भ इसकी खूबसूरती में चार चांद लगते है, एवं लाइब्रेरी के बाहर सूंदर झील इसे और भी खूबसूरत बनाती है। यह लाइब्रेरी उत्तर प्रदेश की प्राचीन विरासतों में सुमार है,तथा यदि सुंदरता की बात की जाए तो यह किसी दर्शनीय स्थल से कम नही है , लाइब्रेरी में रखी हुई ज्यादातर पुस्तके उर्दू और अरबी भाषा मे लिखी गई है , लाइब्रेरी को देखने के लिए भारत के कोने कोने से लोग यहां आते है तथा वीडियो शूटिंग भी करते है , यही नही कई बार तो यहां विदेशी भी देखने को मिलते हैं। लाइब्रेरी की सुरक्षा के लिए लाइब्रेरी के चारो ओर गार्ड्स की तैनाती रहती है , लाइब्रेरी की सफाई के लिए उत्तर प्रदेश सरकार के वर्कर्स ल...
वो दिन अभी भी याद आता है जब पापा से बहुत जिद करने के बाद 5 रूपए मांगे थे क्यूंकि क्लास में तुमने कहा था तुम्हे गोलगप्पे बहुत पसंद हैं...और मुझे तुम अच्छी लगती थीं...तुम्हारा और मेरा घर आजू बाजू था और रास्ते में 'कैलाश गोलगप्पे वाला' अपना ठेला लगाता था...घर जाने के दो रास्ते थे तुम दुसरे रास्ते जाती और मैं गोलगप्पे की दुकान वाले रास्ते...उस दिन बहुत खुश था...नेवी ब्लू रंग की स्कूल की पैंट की जेब में १ रुपये के पांच सिक्के खन खन करके खनक रहे थे और मैं खुद को बिल गेट्स समझ रहा था...शायद पांच रुपये मुझे पहली बार मिले थे और तुझे गोलगप्पे खिलाकर सरप्राइज भी तो देना था... स्कूल की छुट्टी होने के बाद बड़ी हिम्मत जुटा कर तुमसे कहा- ज्योति, आज मेरे साथ मेरे रास्ते घर चलो ना? हांलाकि हम दोस्त थे पर इतने भी अच्छे नहीं कि तू मुझ पर ट्रस्ट कर लेती...'मैं नी आरी' तूने गुस्से से कहा...'प्लीज चलो ना तुम्हे कुछ सरप्राइज देना है'...मैंने बहुत अपेक्षा से कहा...ये सुन के तू और भड़क गयी और जाने लगी क्यूंकि क्लास में मेरी इमेज बैकैत और लोफर लड़कों की थी... मैं जा ही रहा था तो तू आक...