एक मिडिल क्लास लड़की के ख्वाबों का राजकुमार सफेद घोड़े में चढ़कर नहीं आता है, वो तो बस यूँ हीं गलियों में मिल जाता है. मैं एक अनाथ लड़की थी, अनाथालय में पली-बढ़ी थी. 10 वीं के बाद से हीं पढ़ाई के साथ-साथ पार्ट टाइम नौकरी भी करने लगी. पढ़ाई में मैं औसत थी. तन्हाई और दर्द तो जैसे कभी न जाने के लिए हीं मेरे जीवन में आए थे. वैसे तो कई क्लासमेट थे मेरे, पर शायद मेरे दर्द को मुझसे अच्छा कोई भी महसूस नहीं कर सकता था. जिस लड़की की न माँ हो, न बाप हो, न कोई बहन और न कोई भाई उसके लिए जिंदगी एक सजा से कम नहीं होती है. न तो रोने के लिए कोई कंधा, न परेशानी हल करने लिए किसी का साथ…. उलझकर रह गई थी मैं अपनी बेकार सी जिंदगी में. न तो मुझे किसी से प्यार था, और न मुझे किसी का इंतजार था. लेकिन वक्त को कुछ और हीं मंजूर था.मैं 18 साल की हो चुकी थी. आगे की पढ़ाई करने मुझे दूसरे शहर में जाना पड़ा और साथ हीं मैं पार्ट टाइम जॉब भी करने लगी. सप्ताह के छः दिन क्लासेस और ऑफिस में बीत जाते थे, और Sunday थोड़ा आराम करके खत्म हो जाता था. खुद के लिए तो समय हीं नहीं मिलता था मुझे. कुछ पैसे सेविंग्स में चले जाते थे और बाकि के पैसे जरूरत के सामान खरीदने और कमरे का किराया देने में खत्म हो जाते थे. तभी एक दिन में जिंदगी ने एक नई मोड़ ली. मेरे घर के बगल में रहने एक नया पड़ोसी आया. वैसे तो मैंने पहले उसे नोटिस नहीं किया. लेकिन धीरे-धीरे मैं उसे नोटिस करने लगी. मेरे घर से बाहर जाते वक्त और वापस घर आते समय वो अक्सर छत पर टहलता हुआ मिल जाता था.उस दिन हमने एक-दूसरे से पहली बार बात की. धीरे-धीरे बातों का सिलसिला शुरू हो गया. उसने बड़ी हीं चालाकी से मुझसे मेरा फ़ोन नम्बर माँगा, और फिर मुझसे फोन पर बात करने की परमिशन मांगी. अब हम दोनों अक्सर रात-रात भर बातें करने लगे. वो पढ़ाई में भी मेरी मदद करने लगा. जब मैंने पहली बार उसे I Love You कहा, तो उसका चेहरा देखने लायक था. शायद वह नर्वस भी था और खुश भी. उसने मुझे महंगे-महंगे गिफ्ट लाकर दिए. हमने प्यार में साथ-साथ जीने-मरने की कसमें खाई. मैं बहुत खुश थी कि मेरी तन्हाई को दूर करने वाला और मेरा ख्याल रखने वाला कोई मुझे मिल गया था. मैं सपनों की दुनिया में रहने लगी और अपने आने वाले सुनहरे कल के सपने बुनने लगी.वक्त बीतने लगा, देखते-देखते 3 महीने गुजर गए, अब उसने बाइक ले ली. हम दोनों बाइक पर घूमने जाने लगे. पर कहते हैं न कि प्यार अंधा होता है, उसके प्यार में मैं अंधी हो गई थी. मैंने उसे पहली बार किस किया. मैं बहुत खुश हुई. एक दिन वो मुझे बाइक में बैठाकर शहर से दूर ले गया. वो मुझे जबरदस्ती एक होटल में ले गया.
और फिर उस दिन कुछ ऐसा हुआ जिसने मेरा प्यार पर से भरोसा खत्म कर दिया. और यह भी बता दिया, कि एक माँ अपनी बेटी को इस दुनिया में जीने के लिए जो बातें सिखाती है….. वो बातें कितनी जरूरी होती है. उस मुझे माँ-बाप की कमी बहुत महसूस हुई. उस बेवफा लड़के ने मेरा बलात्कार किया, और फिर मुझे अपने दोस्तों के सामने परोस दिया. कुछ घंटों ने मेरा जीवन बर्बाद कर दिया. उन सबने अपने हवस की प्यास बुझाई और मैं बेबस बनकर सब कुछ सहती रही.मेरा सब कुछ लूट चुका था, और अब मुझे जीने की कोई इच्छा नहीं रही थी. वो मुझे बाइक में बैठाकर वापस घर की ओर बढ़ चला. मुझे समझ में ये नहीं आ रहा था कि अब मैं क्या करूं. जब बाइक पुल के ऊपर से गुजर रही थी, तभी मुझे ख्याल आया कि क्यों न मैं नदी में कूद जाउँ. नदी वैसे भी पानी से लबालब भरी हुई थी, शायद मौत मुझे बुला रही थी…. और मैं भी मौत के आगोश में समाने को बेताब थी. मैंने उसे बाइक थोड़ा धीरे चलाने को कहा, और बाइक के धीमे होते हीं नदी में कूद गई. कुछ मिनटों के संघर्ष के बाद मुझे इस जिंदगी से छुटकारा मिल हीं गया.
शायद मुझे अंधा प्रेम नहीं करना चाहिए था, और मुझमें इतनी ताकत होनी चाहिए थी कि मैं उन दरिंदों से खुद की इज्जत बचा पाती. काश मेरी भी कोई माँ होती, जो जिंदगी के कदम-कदम पर मेरा साथ देती. शायद परिवार का साथ मिलता तो मैं कोई गलत कदम नहीं उठाती. किसी का सच्चा साथ मुझे मिलता, तो मैं भी आज जिंदा होती. या फिर गलती इस समाज की है, जिसने स्त्री को इतना कमजोर बना दिया है कि वो किसी से अपनी रक्षा भी नहीं कर सकती है.Moral message of the story : प्यार कीजिए, लेकिन प्यार असली है या नकली यह पहचानने की भी क्षमता रखिए. किसी को भी अपना तन-मन सौंपने से पहले अच्छी तरह सोच लीजिए.
यह मौलिक कहानी आपको कैसी लगी, यह हमें जरुर बताएँ. आपके सलाहों और सुझावों का हमें इंतजार रहेगा.
Naic
ReplyDeleteMere dil ki kahani kabhi kabhi mai bhi esa hi sochta hu par mai karta nhi hu mujhe aapki kahani bahut bahut bahut bahut bahut achchi lagi
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