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ये 12 आदतें बदल के तो देखिये.. सफलता आपके कदम चूमेगी | 12 HABITS CAN CHANGE YOUR LIFE IN HINDI

अगर आप सचमुच अपनी जिन्दगी बदलना चाहते है लगातार तरक्की की सीढियाँ चढ़ना चाहते है एक अच्छे इंसान के रूप में पहचाने जाने की अगर आपकी ख्वाहिश है और अगर आप लोगो के साथ सुखद सम्बन्ध बनाना चाहते हो तो एक बार अपने attitude को अवश्य परख ले ! आत्मवलोकन के माध्यम से सुधार की गुंजाईश पता लगाना बहुत जरुरी होगा आपके लिए!

माना कि अपना Attitude (आदत) बदलना एक मुश्किल काम है लेकिन नामुमकिन नहीं है अगर आप ठान लें तो आसानी से कर सकते हैं नीचे 12 positive thoughts in Hindi  टिप्स दिए गए हैं जो इस काम में आप के साथ एक हो सकते हैं

1.जीने का मकसद ढूंढे (Find the purpose of living) : मैं ऐसे कई लोगों को जानता हूं जो बिना किसी मकसद के जी रहे हैं |  वे सुबह उठते हैं और काम पर चले जाते हैं शाम को लौटते हैं और फिर सो जाते हैं इससे उनका जीवन ठहरे हुए पानी की तरह हो गया है ! जीवन को सुगंधित और प्रवाहमान बनाए रखने के लिए हमें चाहिए कारण - जीने की वजह । स्पष्ट लक्ष्य होने चाहिए नजरों के सामने- छोटे और बड़े । फिर उन लक्ष्यों को पूरा करने की धुन चाहिए होगी- बोले तो जुनून। 

जीवन और इसके उद्देश्य को साफ-साफ देख सकने वाली दृष्टि होनी चाहिए हमारे पास ! तब कहीं जाकर व्यक्ति पल पल को जीने की स्थिति में आता है तब उसका जीवन स्वयं के लिए ही नहीं बल्कि दूसरों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बन जाता है ऐसे लोगों के जीवन में एक के बाद एक उपलब्धियां आती चली जाती है।

 
2. नये का भय ना पाले : ज्यादातर लोग 'नयेपन' से डरे हुए रहते हैं जबकि हकीकत यह है की अधिकांश बड़े अवसर नयेपन की आड़ में ही छिपे होते हैं नए अनुभव ही हमें विकसित होने का अवसर देते हैं ! 

नई-नई परिस्थितियों का सामना करने से ही हमारे भीतर साहस पैदा होता है हमारा आत्मविश्वास जाता है अतः है जितना हो सके नयेपन को अपनाइए काम करने के नए नए तरीके खोजें, नए नए लोगों से मिलिए, नई-नई जगहों पर घूमने जाइए, नए नए विचारों पर गौर कीजिए, नए-नए शौक पालिये, नई-नई आदतें अपनाइए, नए का सीधा संबंध जोखिम से होता है ! जितना आप नए के संपर्क में आएंगे उतनी ही आपकी जोखिम उठाने की प्रवृति बढ़ जायेगी ! उतना ही आपका दिमाग खुलता जाएगा आपका खुद पर यकीन बढ़ता जाएगा और आप जिंदगी को बिना किसी डर और पछतावे के सकारात्मकता के साथ जी पाएंगे ।



3. जितने ज्यादा दोस्त, उतना व्यापक नजरिया: जितनी ज्यादा लोगों से हम मिलते हैं उसने ज्यादा अनुभव हमें प्राप्त होते हैं उतने ही अधिक दृष्टिकोण हमें उपलब्ध होते हैं ! जीवन को देखने के लिए इससे हमारा अपना नजरिया व्यापक होता है और संकीर्णता के प्रति आग्रह घट जाता है जब हम अधिक अधिक लोगों के संपर्क में रहते हैं, तो हमें अपने व्यवहार को यथासंभव लचीला बनाना पड़ता है, गलत एटीट्यूट लेकर हम लोगों से नहीं जुड़ सकते ! 

नकारात्मकता सोच वाले व्यक्ति के लिए अधिक मित्र बनाना संभव नहीं होता और ढेर सारे मित्रों वाले व्यक्ति का नकारात्मक बने रहना मुमकिन नहीं है | 

अतः अधिकांश लोगों से मिले और उन्हें मित्र बनाइए जितने ज्यादा लोगों से आपका परिचय होगा उतना ही अधिक स्वीकार्य भाव आप अपने अंदर पाएंगे और यह गुण आपको जीवन की हर आयाम में सफलता दिलाएगा ।

4. सीख जब मिले, जिससे मिले, जितनी मिले ले लो: (learn from everyone)  सीखना आगे बढ़ते रहने का एकमात्र जरिया है जिंदा होने की यही सबसे बड़ी निशानी है, अतः सीखने को तत्पर रहें हर व्यक्ति हर परिस्थिति हर अनुभव को शिक्षक बना ले लेकिन सीखने को बोझ की तरह ना लें उस का भरपूर आनंद उठाएं, कुछ नया जानने में वैसी ही उत्सुकता होनी चाहिए जैसी कि बच्चों में होती है!

पुस्तके सीखने का सबसे सरल और सुलभ साधन है अतः पढ़ने की आदत डालिये, नियमित रुप से पढ़िए ! अगर आपके पास व्यवस्तताएँ अधिक हो तब भी 5-10 पेज रोजाना पढ़ना कोई मुश्किल काम नहीं होगा, इस तरह से आप साल भर में 10 से 15 पुस्तकें तो आसानी से पढ़ ही डालेंगे और 5 साल अगर आपने यही नियम बनाए रखा तो सोच कर देखिए कि आपके ज्ञान और समझ बूझ में कितनी वृद्धि हो चुकी होगी ! 

लेकिन पढ़ने के नाम पर कुछ भी पढ़ने की आदत से बचना जरूरी है सकारात्मक सोच पैदा करने वाली जीवन को व्यवस्थित तरीके से जीना सिखाने वाली प्रोफेशनल तौर-तरीके सिखाने वाली वैज्ञानिक सोच पैदा करने वाली तथा सफल लोगों के अनुभव साझा करने वाली पुस्तकें आपकी सच्ची शिक्षक साबित हो सकती है !


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5. दिन की शुरुआत 'योजना' से कीजिये : (Start the day with a new plan) अपने दिनभर के क्रियाकलापों पर आपका पूरा नियंत्रण होना चाहिए ! अगर आप दिन भर में हर काम प्लानिंग से करते हैं, तो निसंदेह आपकी उत्पादकता बढ़ जाएगी आपके लक्ष्य समय पर पूरे होंगे इससे अंततः आपकी सकारात्मक में वृद्धि होगी ! 

अतः दिन की शुरुआत दिन की योजना बनाने से करें, दिन भर में जो कुछ भी काम करना है उसके लिए समय सीमा निर्धारित कर ले और कुछ समय 'आकस्मिक' कार्यों के लिए अवश्य निकाल कर रखें !


6. जिम्मेदारियों को अवसर माने :जब भी आपको कोई जिम्मेदारी सौंपी जाये तो खुश हो जाए की आपको किसी योग्य समझा गया है, की बहुत सारे लोग आप पर भरोसा करते हैं इसलिए घर-दफ्तर कॉलेज या सामाजिक संस्थाओं में रहते या कार्य करते हुए आपको अधिक अधिक जिम्मेदारी स्वीकार करनी चाहिए, जितनी ज्यादा जिम्मेदारियां आप लेंगे उतनी ही उनको पूरी करने की आपकी क्षमता बढ़ती जाएगी ! 

आपके भीतर नेतृत्व के गुणों का विकास होगा और सकारात्मकता बढ़ेगी ।

7. लोगो के 'योगदान' पर गौर करे :एक बार एक motivational speaker ने कंपनी के सीनियर एग्जीक्यूटिव के लिए एक सेमिनार का आयोजन किया था उसमें एक सत्र संबंधों पर भी था उसी सत्र के दौरान motivational speaker एक प्रतिभागी से पूछा हां तो आप मुझे यह बताइए कि आज सुबह से आप कितने लोगों पर आश्रित रहे हैं मेरे कहने का मतलब है कि किन-किन लोगों ने सुबह से अब तक विभिन्न कार्यों में आपकी मदद की है, 

तो वह सोच में पड़ गया कुछ देर सोचने के बाद उसने जो जवाब दिया, उससे सबसे ज्यादा हैरान वह खुद था उसने बताया कि सुबह से लेकर दोपहर तक बहुत सारे लोगों ने बहुत सारे तरीकों से उसकी मदद की थी !

मसलन उसकी पत्नी, उसका बेटा, उसकी मां, उसकी बेटी, उसका दूधवाला, उसका अखबारवाला, उसका नौकर, उसका ड्राइवर, उसके दफ्तर का चपरासी,  उसके सहकर्मी इत्यादि इत्यादि उसने कहा सबसे पहले तो मैं सुबह समय पर उठने के लिए अपनी पत्नी पर आश्रित रहा ! फिर मेरी बेटी ने मेरे लिए चाय बनाई, मेरी मां ने मुझे अखबार ला कर दिया ! 
लॉन्ड्री वालों ने मेरे कपड़े धोकर प्रेस किए पुनः में आश्रित रहा, अपनी पत्नी पर जिसने हर रोज की तरह आज भी मेरी तमाम जरूरी चीजों को निकालकर मेरे सामने रखा ! ताकि मुझे दफ्तर के लिए निकलने में देरी न हो फिर मेरे ड्राइवर ने मुझे ठीक समय पर ऑफिस छोड़ा चोकीदार ने मेरे लिए गेट खोला !!

लिफ्टमैंन ऊपर आने में मेरी मदद की ! और हां मेरी कंपनी ऑफिशियल जिन्होंने मेरे जीवन को बेहतर बनाने के उद्देश्य से इस सेमिनार का योजन किया ! 

अंत में मेरे वर्तमान सहकर्मी जो हर कदम पर मेरा साथ दे रहे हैं मैं इन सभी पर आश्रित हूं, इनकी मदद के बिना मैं कुछ भी नहीं कर पाऊंगा, शायद ऐसा ही होता है हम अक्सर उन लोगों को धन्यवाद देना भूल जाते हैं, जो हमारे जीवन को आसान बना रहे होते हैं हमारे पास वक्त ही नहीं होता !

उन लोगों की योगदान को देखने का जो हमारे बेहद करीब हैं अगर आप भी ऐसा कर रहे हैं तो अभी जाग जाइये !

8. प्रशंसा से बड़ा पुरस्कार नहीं दूजा : लोगों के व्यक्तित्व और व्यवहार में अच्छी बातें देखना सीखिए ! गुड ग्राहक बनिए लोगों की खुशियां पहचानिए, और फिर उनकी यथेष्ट प्रशंसा कीजिए ! प्रशंसा का एक लाभ यह भी है: कि आप हर चीज में अच्छाई ढूँढना सीख जाते है, और यह आदत आपके भीतर सकारात्मक मनोवृति विकसित करने में सहायक होती है ! 

अर्थात दूसरों में अच्छाइयां देखते-देखते, आप स्वयं भी अच्छे होते जाते हैं असर दूसरों में देखते आप स्वयं ही अच्छे होते जाते हैं हर इंसान में कुछ न कुछ तो ऐसा होता ही है जिस की प्रशंसा की जा सके ! वह बात ढूंढिए और दिल से उसकी तारीफ कीजिए दिल से की गई तारीफ ही दिल तक पहुंचती है इस संदर्भ में अपना एक सच्चा अनुभव बयान करना चाहूंगा जो कि मेरे एक मित्र के साथ पेश आया था !


मेरा मित्र बेंगलुरु की करीब एक कस्बे में रहता था हायर सेकेंडरी की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद आगे की पढ़ाई के लिए उसने बेंगलुरु जाना तय किया । उस दिन रविवार था रात को से बेंगलुरु के लिए निकलना था! 

 उसने सोचा कि क्यों न बाल कटवा लिए जाए यह सोचकर वह हेयर कटिंग सलून में जा बैठा, जहां कि वह बचपन से जाता रहा था अपनी बारी का इंतजार करते हुए अचानक उसके मन में ख्याल आया कि शायद यह आखरी बार है जब वह यहां आया है ! इसके बाद पता नहीं फिर कब आना है असल में वह इस दुकान की मालिक के मीठे व्यवहार उसकी सदा खिली रहने वाली मुस्कान तथा अपने काम के प्रति उसके समर्पण भाव से बेहद प्रभावित था और इसलिए उसने इस जगह से लगाव सा हो गया था 

खैर, उस ने बाल कटवाए और घर आ गया लेकिन सलून वाली बात उसके जेहन में अटक गई थी अतः उसने सलीम अली के नाम एक खत लिखा जिसमें उसके व्यवहार तथा काम के प्रति समर्पण भाव की प्रशंसा की गई थी और डॉग के डिब्बे में डाल कर रात को बेंगलुरु के लिए रवाना हो गया।

तकरीबन 2 सालों के बाद वह अपने गृह नगर आया और इत्तेफाकन उसी समय उसे हेयर कट की ज़रूरत महसूस हुई, वह तुरंत अपने पसंदीदा सलोन पहुंच गया ! जैसे ही उसने सलून में कदम रखा, सलून मालिक ने झट से उसे पहचान लिया उसके चेहरे पर खुशी की ऐसी रंगत उभर आई, कि पूछिए मत.... गदगद कंठ से बोला, "सर प्लीज आइए पहले में आपका हेयर कट कर देता हूं" मेरा मित्र आश्चर्यचकित था कि यह क्या हो रहा था !

ह चुपचाप कुर्सी पर बैठ गया किंतु उसकी उत्सुकता ने उसे शांत नहीं रहने दिया और वह पूछ ही बैठा कि उसे इतना महत्व और प्राथमिकता किस लिए दी जा रही थी तरुण मालिक ने चमकती आंखों और मुस्कुराते होठो से जवाब दिया, " सर 25 साल से में यह दुकान चला रहा हूं, 

और इन 25 सालों में केवल एक व्यक्ति ने मुझे और काम के प्रति मेरे समर्पण को सरहाने कि जरूरत समझी और वह व्यक्ति आप है ! मे तो हर कस्टमर की एक समान निष्ठा से सेवा करता हूं लेकिन आज तक किसी और ने इसके लिए मेरी प्रशंसा नहीं की ! अगर किसी काम में कुछ कमी रह जाए तो लोग गालियां जरुर दे जाते हैं आपके शब्दों में मेरी 25 सालों की मेहनत बेकार होने से बचा ली ! सर, "वो देखिये आपके भेजे हुए खत को मैंने फ्रेम करके अपनी दुकान की दिवार पर टांग रखा है यह खत मेरे जीवन भर की कमाई है सर। "

9. अपनी कामयाबी पर तो हर कोई खुश हो लेता है : मैं ऐसे कई लोगों को जानता हूं जिन्हें अपनी तरक्की से उतनी खुशी नहीं होती, जितना दूसरों की तरक्की से दुख होता यह नकारात्मक मनोवृति की पहचान है ! सकारात्मक मनोवृत्तियों वाला व्यक्ति दूसरों के सुख में सुखी होता है अतः आप भी अपने आसपास के लोगों को आगे बढ़ते हुए देख खुशी महसूस कीजिए ! ईर्ष्या सिर्फ नकारात्मकता पैदा करती है, और कुछ नहीं जब भी आप किसी को सफलता पाते देखें तो खुश हो और आगे बढ़ कर उसे मुबारकबाद दे उसके लिए तालियां बजाए मत भूलिए की असफलता की तरह सफलता भी संक्रामक होती है !

10. तुम्हारी भी जय-जय, हमारी भी जय-जय: जब भी आप को लोगों से व्यवहार करना हो तो हमेशा दोनों की फायदे की बात सोचिए ! सिर्फ अपना फायदा देखना, आप को लोगों से दूर कर देगा धीरे-धीरे लोग आप पर विश्वास करना बंद कर देंगे ! और आप मित्रों के लिए भी तरस जायेंगे।

11. सत्संग की महिमा अपार है :जीवन में इस बात से बड़ा अंतर पैदा हो जाता है कि आपका संग साथ कैसा है तरक्की पसंद लोगों का साथ आपको चीजों को सकारात्मक ढंग से सीखने चुनौतियों में अवसर तलाशने और उपलब्ध समय का पूरा सदुपयोग करने के लिए प्रेरित करेगा कहते हैं कि बड़ा बनने की चाह रखने वालों को सबसे पहले बड़े लोगों की संगति करनी चाहिए।

12. बुरी आदतें लानत है, बदल डालो : आपको अपनी बुरी आदतों के प्रति सचेत होने की आवश्यकता है देर से सोना, देर से उठना, धूम्रपान मधपान करना, झूठ बोलना, बिना टाइम टेबल के खाना अपने स्वास्थ्य का ध्यान नहीं रखना ! दोस्तों के साथ बेकार की गपबाजी में जरूरत से ज्यादा समय बर्बाद करना , यह सभी छोड़ने योग्य आदते हैं अगर आप भी इस तरह की आदतों के शिकार है तो एक-एक करके इनसे छुटकारा पाने की योजनाएं बनाये । 

 जो अबतक न जाना हो उसे जानकर और जो अब तक नहीं किया हो उसे करके ही हम वह पा सकते हैं जो अब तक नहीं पाया है अतः अपने एटीट्यूड की खामियों को जानिए उनमें बदलाव् कीजिए और फिर जो चाहिए वह हासिल होगा आपको पीछे मुड़ कर देखने की नौबत नहीं आएगी फिर जीवन में सिर्फ सौगातें ही मिलेगी आपको । 

Comments

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